Book Title: Saman Dhamma Rasayanam
Author(s): Dharmdhurandharsuri, Bhuvanchandravijay
Publisher: Shrutgyan Prasarak Sabha
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मुत्ती ( मुक्तिः - निर्लोभता) - ४ अंतो - पजंतो । ण - णहि । दीसइ - विलोएइ । हवइ - जायइ । भमो - भमणं । चिरकालं - दीहसमयं । लोहेणजणो तुइरं - संसारे संसर इत्ति ।। ५) कविलमुणिणा - कविलत्तिपसिद्धणामेणं केवलिणा | अमयसमाणं - सुहासमं । सच्चं - तच्चं । सालं - मणोरमं । गीयं - गानविसयमापाइयं । किंतं-तं आहमासजुयलकणयस्सवि-दोसमाससुवण्णस्सअवि । कजं - किश्च । करिडं - साहेउं । कोडी - लक्खसयमवि । नालं - णसमत्था । कविकेवलिणो वुत्तमुत्तरज्झयणाओविण्णेयं । ६) मुत्तिविमुत्ता - णिल्लोहयारहिया । सत्ता - चेयणा । पायालं - अहं । पविसंति - गुरुगिरिसिहरम्मि - महपव्वयमत्थये आरुहंति रोहणं कुणंति । विसालं जलं - पहूअंपाणीयं, सायरंत्तिजावं ।

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