Book Title: Saman Dhamma Rasayanam
Author(s): Dharmdhurandharsuri, Bhuvanchandravijay
Publisher: Shrutgyan Prasarak Sabha
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मद्दवं (मार्दवम्) - २
मद्दवमुपद्दवहरं जयइ जं विणु मयमयंगओ, दलइ- आयारामं ।। णामं णाम मद्दव सिणिणा गेड्वसं तं मुणी कामं ।।१।। महव. संवच्छरसमयंसमणत्तं संसेवइ बलीबाहू ।। महवमुवचरियं णहि जावं, ताव ण आसी सुसाहू ।।२।। महव. माणसेलसिहराओ पडिआ, ण लहंति सुहलेसं । विसीयंति सीयंति जायोति, निरयं परमकिलेसं ।।३।। महव. दहमुहपुहवीणाहो णट्ठो, जेण विणा संगामा । कंसो मणुयवतंसो वि उण सुहिया विहिय पणामा ।।४।। महव. महवओ विणओ विणयेणं, पाणं तेण हि मुत्ती । सुहमवियलमत्थिमुत्तीइ, एसा पवरा जुत्ती ।।७।। मद्दव. सुक्कयकट्ठसमो खलु माणो कट्ठमणंतं देइ । महवपरसुविहियसयखंडो णिययं विलयं एइ ।।६।। महव. मद्दववज्जं माणगिरिम्मि जइ निवडइ इगवारं । णामसेसी हूओ तया सो कत्थवि णवि दंसेइ वियारं ।।७।।
महव. सुत्ते मिउमहवसंपण्णे, मुणिणो सुहिया कहिया । महवधम्मा धम्मधुरंधर पयसंपयमणुसहिया ।।८।। महव.

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