Book Title: Saman Dhamma Rasayanam
Author(s): Dharmdhurandharsuri, Bhuvanchandravijay
Publisher: Shrutgyan Prasarak Sabha

View full book text
Previous | Next

Page 15
________________ "समण धम्म रसायणं" वित्ति कलियं ३) जेसिं - जंसकासा । खंती - उवसमो । दूरे - अणभण्णे, विप्पकिट्ठे | तेश्चिय - Yणं तेजणा । भवगहणे - संसारसरूवविकटवणम्मि । णिवसंति - वासं करन्ति ।।३।। कसाया राय पराज ४) जसत्तिपुव्वमणुसंघेयं, हियये - अंते करणमज्झसे । विजियकसाया - कोहाइ कसंपराय पराजयं कुणंती खंती - खमावट्टइत्ति सेसो । संसारे - भवम्मि । ण - णहि---- सरंति - भमंति ।।४।। . ५) वीर जिणेणं - चरमजिणेसरसिरिबद्धमाणसामिणा । चंडकोसिअं - चंडकोसि अतिप्रसिद्धणाम दिह्रिविसविसहरं । परमा संती - उत्तमा खमा ।. णीआ - पाविआ ।। कहाणयमेयं पसिद्धं ।।५।। ६) कोवो - रोसो । कडुअरवो - कक्कससद्दकरो । दुस्संखो - दुद्दोसंखो ।। दुट्ठसंखव्वकोहोकटुसदंकुणइ ।। खंती - खमाय । महुरा तंती - पियवयणकारिणी तंती, वज्जविसेसेण-विक्खाया

Loading...

Page Navigation
1 ... 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108 109 110 111 112 113 114 115 116 117 118 119 120 121 122