Book Title: Samaj aur Sanskruti
Author(s): Amarmuni
Publisher: Sanmati Gyan Pith Agra

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Page 9
________________ सूचिका 88888888888888885 :283 ३ wr] १०७ १२२ समाज और संस्कृति मनुष्य की संकल्प-शक्ति स्वभाव और विभाव अध्यात्म-साधना विकल्प से विमुक्ति जीवन का रहस्य मानव जीवन की सफलता जैन धर्म अतिवादी नहीं है जीवन की क्षण-भंगुरता शक्ति ही जीवन है मनुष्य स्वयं दिव्य है मन ही साधना का केन्द्र-बिन्दु है ज्ञानमयो हि आत्मा कर्म की शक्ति और उसका स्वरूप भारतीय दर्शन की समवन्य-परम्परा अहिंसा और अनेकान्त भारतीय संस्कृति में अहिंसा व्यक्ति का समाजीकरण संस्कृति की सीमा व्यक्ति से समाज और समाज से व्यक्ति १४४ १५५ . २०३ २१३ २१८ २२८ २३७ २५० - Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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