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बातें जीवन की, जीने की
हर समय इतने व्यस्त रहिए कि चिंता करने की फुर्सत ही न मिले। आप प्रसन्न रहेंगे, तो आप अपने लोगों को भी प्रसन्न करने में कामयाब हो जाएंगे।
सीखिए
हम अपने कर्मचारी के साथ भी इतने धैर्य और शान्ति से पेश आएँ
और कि वह अपने कर्त्तव्य के लिए
सहज प्रेरित रहे।
सिखाइए
उस समय विशेष शांति रहिए, जब कोई अपना गुस्सा आप पर निकालने लगे ।
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जब भी बोलें, धीमें और धैर्य से बोलें, आपकी वाणी औरों के दिलों में प्यार और जिज्ञासा का झरना बहाएगी।
ग़लती सबसे होती है और गुस्सा सबको आता है, फिर बुरा मानने की बजाय क्यों न शांति और
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