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तीसरी आँख खोलिए
दीप চালাই विवेक क्रा
२, दुनिया में मूर्ख और मृतक दो लोग
ऐसे होते हैं जो अपनी मानसिकता को नहीं बदल सकते। आप समझदार हैं, अपने पुराने ख्यालात और विरोधों का त्याग कीजिए और अपनी ओर से सार्थक पहल करते हुए अपने घर-परिवेश को
शांतिमय और स्वर्गमय बनाइए। है, किसी के द्वारा की गई छोटी-सी
अवहेलना के कारण स्वयं को इतना उद्वेलित मत कीजिए कि आपके द्वारा तीखी टिप्पणियाँ होने लग जाए। निमित्तों का विपरीत होना नैसर्गिक है, पर स्वयं को विपरीत बना बैठना स्वयं की पराजय है। यदि आपको लगता है कि आप सत्य हैं, और सामने वाला दोषी, तब भी दूसरों के दोष निकालने की बजाय स्वयं को मौन
और निरपेक्ष कर लेना अधिक बेहतर है।
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