Book Title: Safal Hona Hai to Ek Tir Kafi Hai
Author(s): Chandraprabhsagar
Publisher: Jityasha Foundation

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Page 77
________________ घर आया मेहमान भगवान के समान घर आए मेहमान का सत्कार कीजिए। यह आपके सफल और प्रभावी व्यक्तित्व का चरण है। जिस घर में अतिथिजनों और संतजनों को भोजन करवाने के बाद भोजन किया जाता है, उस घर की तो मिट्टी भी माथे से लगाई जाए तो वह किसी मंदिर के चंदन की चुटकी का काम करती है । अतिथि देवो भव: Jain Education International पहले लोग घरों में गाय पालते थे, अब कुत्ते पालते हैं। पहले लिखते : थे अतिथि देवो भवः। अब लिखते हैं : कुत्ते से सावधान | चोरों के लिए भले ही ऐसा लिखिए, पर परिजनों और अतिथिजनों के सत्कार के लिए सदा तत्पर रहिए । घर आया मेहमान भगवान के समान होता है । गृहस्थ तो देने मात्र से धन्य होता है फिर इसमें पात्र-अपात्र का विचार क्या ? जो देता है, वह देवता है जो रखता है, वह राक्षस है । ईश्वर से 76 For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

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