Book Title: Safal Hona Hai to Ek Tir Kafi Hai
Author(s): Chandraprabhsagar
Publisher: Jityasha Foundation

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Page 90
________________ शांत रहिए, अधिकतम मुस्कुराइए स्वयं का शांतिमय होना घर, समाज और अध्यात्म की सबसे बड़ी सेवा है। जो स्वयं शांतिमय होते हैं, वही दूसरों को शांति का सुकून दे सकते हैं। शांति के पावन पथ पर Jain Education International जो अपने अन्तर्मन को शांतिमय और आनंदमय बनाते हैं, वे कमल , के फूल की तरह खिल उठते हैं । ऐसे लोग जहाँ भी रहते हैं, उनसे शांति और आनंद का स्वर्ग ही स्थापित होता है । यदि आप शांति - पथ का आनंद लेना चाहते हैं, तो कृपया हर रोज सुबह - शाम 20 मिनट तक शांत मंद श्वास लेते हुए उनका ध्यान कीजिए | यह धारणा रखिए कि मैं श्वास को शांत करते हुए अपने अन्तर्मन और उसकी उत्तेजनाओं को शांतिमय बना रहा हूँ । शुरू में भले ही उचाट लगे, पर ज्यों-ज्यों For Personal & Private Use Only 89 www.jainelibrary.org

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