Book Title: Safal Hona Hai to Ek Tir Kafi Hai
Author(s): Chandraprabhsagar
Publisher: Jityasha Foundation

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Page 97
________________ योग्य होती है। * गुस्सा बहुत कर चुके हैं, अब प्रेम का पथ अपनाइए। क्रोध तो लुहार का हथौड़ा है जिसकी चोट तो एक होती है पर टुकड़े दो करता है। सुनार की हथौड़ी बनिए जिसकी ठोकापीटी भी सोने का कंगन और माथे के मुकुट का निर्माण करती है। कृपया अपना पेट सुधारिए, शरीर स्वतः सुधर जाएगा। मस्त रहिए, मन सुधर जाएगा। आधे घंटे ही सही, भजन अवश्य कीजिए, आपका भव-सुधर जाएगा। @ नववर्ष पर संकल्प लीजिए कि हम इस वर्ष ऐसा कुछ न-कुछ अवश्य करेंगे जिससे हमारे जीवन में मुस्कान उभरे, रिश्तों में मिठास आए और हमें हमारी आत्मिक समृद्धि उपलब्ध हो। Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

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