Book Title: Safal Hona Hai to Ek Tir Kafi Hai
Author(s): Chandraprabhsagar
Publisher: Jityasha Foundation

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Page 75
________________ आत्मलाभ के लिए किया गया कषायों का निरोध, शील का पालन, प्रभु-भक्ति और उपवास जैसा व्रत सब तप ही हैं। यदि आप सदा सात्त्विक और सीमित आहार लेते हैं, तो आपको चिकित्सक के पास जाने की कभी ज़रूरत ही नहीं पड़ेगी। आप तो स्वयं ही अपने चिकित्सक हो चुके हैं। - महीने में एक उपवास करने की आदत तो डालिए ही, साथ ही पेट में जितना समाए उससे दो कौर कम खाइये, रात की बजाए दिन में खाने की आदत डालिए, मौनपूर्वक भोजन कीजिए, और बाजारू चीजों को खाने से परहेज़ रखिए, यह सब तप ही हैं। - ध्यान रखिए, उपवास से पहले दो काम मत कीजिए : गरिष्ठ भोजन और दाम्पत्य सेवन । उपवास में मत कीजिए : गुस्सा और निन्दा | पर, उपवास में दो काम अवश्य कीजिए : शास्त्र का पठन और आत्मस्वरूप का चिंतन | Jain Education International For Personal & Private Use Only 74 www.jainelibrary.org

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