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कैसे जिएँ परिवार में
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ॐ माता के आँचल से भावना मिलती है और पिता की आँखों से अनुशासन। हम दोनों की सम्मिलित रचना हैं। स्वयं में हम भावना का कोमल फूल भी खिलाए रखें और अनुशासन की
लक्ष्मण-रेखा भी बनाए रखें। to पिता जीवन की बगिया का
मालिक है और माँ उसकी माली।
मालिक को देखकर अपनी ख़ुश्बू महकिए लुटाइये और माली को देखकर
अपनी पंखुरियाँ। और
७ परिवार किसी पवित्र यज्ञ की तरह महकाइए है। इसे पूर्णता प्रदान करने का श्रेय
उसे ही मिलता है जो इसमें अपनी जितनी अधिक आहुतियाँ समर्पित
करता है। * संतान को मात्र सम्पत्ति नहीं, समय
और संस्कार भी दीजिए ताकि आपके घर में खिला पौधा आपको बरगद की विराटता और सुख की छाया दे सके।
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