Book Title: Safal Hona Hai to Ek Tir Kafi Hai
Author(s): Chandraprabhsagar
Publisher: Jityasha Foundation

View full book text
Previous | Next

Page 67
________________ 1/ महापुरुष तो दुश्मनों की भी ग़लतियों को माफ़ कर देते हैं, आप कम-से-कम अपने मित्र की ग़लती को तो माफ़ करने का बड़प्पन अवश्य दिखाइए। 1 संभव है : ईश्वर नहीं चाहता कि दुनिया का हर आदमी अमीर और ताक़तवर बने, पर वह यह तो ज़रूर चाहता है कि हम सब एक-दूसरे के दोस्त बनें। 1। अपनी सुबह की प्रार्थना में एक काम ज़रूर करें : अपने दोनों हाथ आसमान की ओर ऊपर उठाकर यह भावना भाएँ कि मैं सबका मित्र हूँ और सब मेरे मित्र हों। मेरा किसी से कोई वैर नहीं है, हम सब एक-दूसरे को प्रेम और माधुर्य प्रदान करें। 1/ सारी दुनिया का एक ही नारा हो : हम सब साथ-साथ हैं। अगर आप मुझसे आगे चलेंगे तो संभव है कि मैं आपका अनुसरण न कर पाऊँ और यदि पीछे चलेंगे तो यह भी मुमकिन है कि मैं आपका पूरा नेतृत्व न कर पाऊँ। इसलिए संगच्छध्वं... संवदध्वं.... हम सब साथसाथ चलें, साथ-साथ आगे बढ़ें। & 00000000000 908602086692-130000000000002 androidc0000000 MARTAstotoo Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98