Book Title: Safal Hona Hai to Ek Tir Kafi Hai
Author(s): Chandraprabhsagar
Publisher: Jityasha Foundation

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Page 26
________________ दूसरों पर टिप्पणी करने से आप उन्हें आघात पहुँचाते हैं। उनकी नज़रों में चढ़ने की बजाय आप उल्टे गिरते हैं और संबंधों में खटास डाल बैठते हैं I किसी को अपमानित करने की बजाय यदि आप विनम्रतापूर्वक पेश आते हैं तो निश्चय ही आप सत्य, शांति और विवेक के अधिक निकट होते हैं। क्यों न हम स्वयं को उस गौ माता की तरह बना लें जो सूखी घास खाकर भी बदले में मीठा दूध लौटाती है। विनम्रता से विवेक का जन्म होता है और विवेक से सत्य का । सत्य में प्रभु का निवास है और प्रभुता वहीं है जहाँ जीवन में विवेक और विनम्रता है। विवेक को अपने जीवन की तीसरी आँख समझिए । इसका तब भी उपयोग कीजिए जब दोनों आँखें बन्द हों। विवेक को अपना शिक्षक और गुरु बनाइए । मन में आए जो बोलना या करना केवल निरंकुशता की निशानी है । कार्य को विवेकपूर्वक सम्पादित करना ही जीवन की सफल पूंजी है। Jain Education International For Personal & Private Use Only 25 www.jainelibrary.org

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