Book Title: Safal Hona Hai to Ek Tir Kafi Hai
Author(s): Chandraprabhsagar
Publisher: Jityasha Foundation

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Page 27
________________ - ईर्ष्या, क्रोध और चिंता – ये तीनों ही विवेक के शत्रु हैं। सम्मान, शांति और संतोष – ये तीनों विवेक के मित्र हैं। सबको सम्मान दीजिए, दूसरों के लिए भी शांति के निमित्त बनिए और भगवत् कृपा से जो कुछ मिला है उसका संतोषपूर्वक आनंद लीजिए । I विवेक हमारे ज्ञान का निष्कर्ष है । यह शांति का द्वार और मुक्ति का आधार है। विवेक स्वयं धर्म है और यही जीवन को प्रकाशित करने वाला चिराग़ भी है । विवेक का अर्थ है- शांति से सोचिए, शांति से कहिए और शांति से ही कीजिए । सच यह है कि विवेक का जन्म शांति की कोख से ही हुआ करता है, उद्वेग या आक्रोश के आंचल से नहीं । हम विवेकपूर्वक खाँए-पिएँ, बोलें- लिखें, ओढ़ें- पहनें और विवेकपूर्वक ही सेवा - साधना - भक्ति - दान- तप करें। विवेक की रोशनी को यदि हम हर हालत में अपने साथ रखते हैं तो निश्चय ही हम पूनम के चाँद की तरह सुख, शांति और माधुर्य के मालिक बन सकते हैं । Jain Education International For Personal & Private Use Only 26 www.jainelibrary.org

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