Book Title: Safal Hona Hai to Ek Tir Kafi Hai
Author(s): Chandraprabhsagar
Publisher: Jityasha Foundation

View full book text
Previous | Next

Page 46
________________ Do666583 6 33 3880038222880500058856002050886%25ER24203836468222 आपकी वाणी आपके मुखमंडल की आभा से भी अधिक ताक़तवर है। कहीं ऐसा तो नहीं कि आपकी वाणी मुठभेड़ का रूप ले लेती हो। अपनी बोली को सुधारिए और ऐसा बोलिए कि लोगों के दिलों में वह सावन की बयार या वीणा की झंकार का आनंद दे जाए। अपने को इतना बड़ा भी मत मानिए कि दूसरे आपको तिनकों की तरह तुच्छ नज़र आएँ। महाकवि तुलसीदास भी स्वयं को अधम और अज्ञानी मानते थे। दूसरों को सम्मान देना ही सम्मानित व्यक्ति की महानता है। जीवन के सपने देखना अच्छी बात है, पर ध्यान रखिए सपने तो शेखचिल्ली भी देखता था जो हर दिन अंडों के महल बनाता। आप अपनी आँखें खोलिए और जो आपने ख्वाब देखे हैं, उन्हें सत्य भी साबित कीजिए। अपनी शक्तियों को पहचानिए, पर अपनी कमजोरियों को जीवन से उखाड़ फेंखिए, आपकी शक्तियाँ दुगुनी प्रभावी हो जाएँगी। कौन व्यक्ति कितना मेहनती है और कितना आलसी, इस बात की पहचान केवल इस बात से कर लीजिए कि वह एक गिलास पानी खुद उठकर पीता है या औरों से मंगवाकर। स्वस्थ सुखी जीवन जीने के लिए अपना काम खुद करने की आदत डालिए। 45 Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98