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[ १५ ] पड जाते हैं। समझ नहीं सकते कि कौनसा धर्म अच्छा है ? किसका कहना माना जाय? इस संशय को दूर करनेके लिए यहां शास्त्राधारसे निर्णय करना उचित है ।
धर्मके साधन अहिंसा सत्यमस्तेयं । शौचमिंद्रियनिग्रहः ॥ दानं दया दमः क्षान्तिः । सर्वेषां धर्मसाधनम् ॥
( याज्ञवल्क स्मृति ) अर्थ-१ अहिंसा-संसारके सम्पूर्ण त्रस और स्थावर जीवकी हिंसा (वध) किसी प्रकार न करना
और आत्मघात भी न करना। ___ २ सत्य-जो बात जिस प्रकार सुनी समझी
और जानी हो, उसे उसी भांति न्यूनाधिकता रहित सबको सुखदायक और हितकारी वचन बोले वह सत्य ।
३ अस्तेयं अचौर्य-सचेतन्य (मनुष्य पशु आदि) पराई वस्तुको विना उसके मालिककी आज्ञाके न लेना यही अचौर्य है । अचेतन्य (वस्त्राभूषण स्थान तृण काष्टादि)