Book Title: Saddharm Bodh
Author(s): Amolakrushi Maharaj
Publisher: Nanebai Lakhmichand Gaiakwad

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Page 53
________________ जातीमें फैला गया है, वह केवल इस लुब्धताके कारणसे ही जानना, सुज्ञ मनुष्यों ! इसका पूर्ण विचार करके ऐसी खराब रूढी जो पड गई है उसको त्याग करके सत्यधर्मको स्वीकार करेंगे। वसजीवोंके स्वरक्षणके नियम. रात्रिभोजनका निषेध, सूर्य अस्त हुए बाद [रात्रिको ] अन्न पाणी वगैरा किसी भी वस्तुका सेवन नहीं करना, क्योंकि रात्रिको शीतलता होनेसे जीवोंका गमनागमन बहुत होता है, और अंधकार होनेसे कुछ दीखता नहीं है, दीपकादिकी रोशनीसे तो दीखता है परंतु दिनके जैसा नहीं देख सकोगे और उस प्रकारके योगसे बहुतसे जीव आकर्षित होकर उस भक्ष्य पदार्थमें गिरते हैं, इसलिए रात्रिमें भोजन करनेसे व पानी पीनेसे त्रसजीवोंकी घात अवश्य करके होती है। और भी रात्रि भोजन-पानसे शारीरिक, मानसिक, धार्मिक वगैरा अनेक प्रकारके नुकसान होते हैं। आयुर्वेदमें कहा भी है कि

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