________________
-
-
भाग दुसरा. ॥ अथ श्री गमोकार महामंत्र ॥
णमोकार मंत्र णमो अरिहंताणं णमो सिद्धाणं .... णमो आयरियाणं णमो उवज्झायाणं णमो लोए सव्वसाहणं
तर्ज-कमलीवालेकी. जिनमतका डंका आलममें बजवा दिया शिवपुरवालेने, जिनवाणीका अमृत आलममें वर्षा दिया शिवपुरवा.
ने ।। टेर ॥ जो श्रीमुखसे फरमाया था, गणधरने उसको गूंथलिया। कहा सार चीज नवकार रटो, फरमा दिया शिवपुरवालेने ॥१॥ जिनमत ॥ अज्ञानातमको दूर किया,
और ज्ञानका रोशन जगा दिया। मिथ्या अंध्यारा मेट किया, उज्यारा शिवपुरवालेने ॥२॥ जिनमत ॥ सत्गुरुने यह उपदेश किया, प्रभुनाम मुमरले अहे जिया। भवसिन्धुसे तिर जावेगा, फरमा दिया शिवपुरवाळेने ॥३॥ जिनमत ॥ " हंसराज" सदा वंदत चरण, प्रभुनाम सदा संकट हरना। सरणेसे हो जावे तिरना, फरमा दिया शिवपुरवालेभे ॥४॥ जिनमत ।। इति ।