Book Title: Saddharm Bodh
Author(s): Amolakrushi Maharaj
Publisher: Nanebai Lakhmichand Gaiakwad

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Page 90
________________ लीजिये हमको शरणमें, हम सदाचारी बने । ब्रह्मचारी धर्म रक्षक. वीर व्रतधारी बने ।। ऐसी अनुग्रह और, कृपा हम पै हो परमातमा । हो सभासद सब यहाँके, सब के सब धरमातमा । भावना दिन रात भरी। सब सुखी संसार हो । सत्य संयम शीळका। प्राचार घर घर द्वार हो ॥ १। शांति अरु आनंदका । हर एक घर में वास हो ॥ वीर वाणी पर सभी । संसार का विश्वास हो ॥ २॥ रोग अरु भय शोक होवे । दूर सत्र परमातमा ॥ कर सके कल्याण ज्योति । सब जगतकी पातमा ॥ ६ ॥ मनकू सिखामण विषे पद. मना तोकुं-किसविध कर समजाऊं । चेतन तोकु किस विधकर समजाऊं ॥ तोकुं-वारंवार चेताऊंरे ॥ मना० ॥ तोकुं० ॥ यह-टेर ॥ हात्ती होयतोपकड मंगाऊं, पायमें जंजीर डलाऊं । मावत होयक-ऊपर बैटुंती, अंकुश देके चलाऊं ॥ मना तोकुं० ॥ चेतन तोकुं । वारं वार० ॥ मना तोकुं० ॥ १॥ लोहो होयतो-धमण धमाऊं, दोए दोए ऐरण रोपाऊं । ल घनसें घनघोर मचाऊं, पाणी करणे चलाऊं ॥ मना तोकुं० ॥ २ ॥ सोनो होयतो-स्वागी मंगाऊं, करडाताव देवाऊं । ळे फुकणीने-फुकनेकुं बैठतो, जत्रिमें तार छेचाऊं ॥ मना ॥३॥

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