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[८५ ] लेले कर ॥३॥ दुर्लभ नर जन्मका पाना; आर्यभूमि उत्तम कुलमें । अपूर्व लाभको लेलो नाम महावीर लेले कर ॥४॥ तिरे जिसको तीर्थ कहेवे, तिरण तारण धरम जिसमें । करो गुण ग्राम चित्त मनसे; नाम महावीर लेले कर ॥५॥ चौथमल कहे सुनो सजन; यही है मोक्षकी कुञ्जी । जल्दी जावोगे शिवपुरमें, नाम महावीर लेले कर ॥६॥
- श्री --- रुपा सतिके नंदन तुम को लाखो प्रणाम । केवळचंदजी के कुल उजियारे बालकपन में महाव्रत धारे।। जनमनमोहनगारे तुमपर लाखों प्रणाम ॥ १ ॥ हस्तिमलजी नाम तुमारे. यथा नाम व्रत गुणको धारे ।। हँस मुख मुद्रावाले ॥ तुमपर लाखों प्रणाम ॥ २ ॥ जबसे आप शोलापुर पधारे। हर्षित हो रहे भक्त तुम्हारे ॥ सौभाग्य उदय हमारे ।। तुमपर लाखों प्रणाम ॥ ३ ॥ वचन कला सुन हरषे सारे, प्रश्न व्याकरण मूत्र मुझारे । मुदर वचन उच्चारे ॥ तुमपर लाखों प्रणाम ॥ ४ ॥ परिग्रह ममत्व नरकमें डाले जिसमें उपधिके भेद है न्यारे॥ सुनके मुघड जनधारे ॥ तुमपर लाखों प्रणाम ॥ ५ ॥ दौलत चरणमें अर्ज गुजारे अवगुन का हूं मैं भण्डारे ।। तम बिन कौन निवारे ।। तुमपर लाखों प्रणाम ॥ ६ ॥
हे प्रभो ! आनंददाता, ज्ञान हमको दीजिये । शीघ्र ही इन दुर्गुणोंसे, दूर हमको कीजिये ।।