Book Title: Saddharm Bodh
Author(s): Amolakrushi Maharaj
Publisher: Nanebai Lakhmichand Gaiakwad

View full book text
Previous | Next

Page 55
________________ अर्थात्--महाऋषि मार्कडेयजी कहते हैं किरात्रिमें अन्न मांसके समान व पानी रक्तके समान हो जाता है । इसलिए छोड देना चाहिये। और भी महाभारत तथा स्कन्धपुराणमें कहा हैनैवाहुतिन च स्नानं । न श्राद्धं देवतार्चनम् ।। दानं न विहितं रात्री । भोजनं तु विशेषतः ॥ अर्थात्-रात्रिको देवताको आइति भी नहीं दी जाती है, स्नान भी नहीं होता है, श्राद्ध भी नहीं होता है, देवपूजा भी नहीं होती है, दान भी नहीं होता, और खासकर रात्रि भोजन तो बिलकुल ही नहीं होता है। और भी महाभारतमें कहा है किये रात्री सर्वदाहारं । वर्जयंति सुमेधसः ॥ तेषां पक्षोपवासस्य । फलं मासेन जायते ॥ अर्थात्-जो रातको बिलकुल ही खाता पीता नहीं है उसको एक महिनेमें १५ उपवासका फल होता है। .

Loading...

Page Navigation
1 ... 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98