Book Title: Saddharm Bodh
Author(s): Amolakrushi Maharaj
Publisher: Nanebai Lakhmichand Gaiakwad

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Page 56
________________ [ ५२ 1 बिना पानी छाननेका बडा दोष भागवतपुराणमें कहा है किसूक्ष्माणि जंतृनि जलाश्रयाणि । जलस्य वर्णाकृतिसंस्थितानि ॥ तस्माजलं जीवदयानिमित्तं । निरग्रशरा परिवर्जयन्ति ॥ अर्थात्-पानीका आश्रय लेकर अनेक सूक्ष्म जीव उसमें रहते हैं, और उन जीवोंका रंग उन पानीके वैसा ही होता है, इसलिए जीवदयाके निमित्त शूर पुरुष छोड़ देते हैं, उष्णदि निर्जीव जल ग्रहण करते हैं। उक्त कथनसे स्पष्ट होता है कि पानीमें असंख्य सजीवोंका निवास स्थान है, विना छाना पानी पीनेसे उनका भी पान होता है, इसलिए ही महाभारतमें कहा है कि- “वस्त्रपूतं जलं पिबेत् ” अर्थात् वस्त्रसे छानकर पानी पीना । और भी महाभारत शास्त्रमें ही कहा है किसंवत्सरेण यत्पापं । कैवर्तस्य हि जायते । एकाहेन तदाप्नोति । अपूतजलसंग्रहः ॥ अर्थात-मच्छियां पकडनेवाले धीवर (भोई)

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