Book Title: Saddharm Bodh
Author(s): Amolakrushi Maharaj
Publisher: Nanebai Lakhmichand Gaiakwad

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Page 36
________________ फायदा भी नहीं है, और (५) उसके खूनके बदले तुह्मारा खून देना पडेगा, ऐसा निश्चय विचार करके धर्मेच्छ प्राणीको किसी प्राणीका वध नहीं करना ऐसे (सौगंद) नियम धारण करना चाहिये । जीवरक्षाका पुण्य एकतः कांचनो मेरुः, बहुरत्ना वसुंधरा । एकतो भयभीतस्य प्राणिनः प्राणरक्षणं ॥ अर्थात्--एक जीवकी रक्षा करनेवालेका पुण्य सुवर्णका मेरुपर्वत जितना ढेरका तथा पृथ्वी भरकर रत्नोंका पुण्य करनेस भी अधिक है ? देखो ? दानसे भी दयाका कितना बड़ा महत्व है !! मांसाहारी लोगोंके प्रश्नोंका समाधान कितनेक मांसाहारी लोग कहते हैं किबकरें मुर्गे वगैरा प्राणी ईश्वरने हमारे खानेके लिए ही उत्पन्न किए हैं, और लिखा भी है कि "जीवो जीवस्य जीवनम्" अर्थात् जीवोंका जीव भक्ष्य है। समाधान-ऐसे अर्थ करना ही स्पष्ट अज्ञानता है क्यों कि, प्रथम तो ईश्वरने किसीको उत्पन्न ही

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