________________
[११] से होनेवाली होगी तो क्या उसके मारनेसे टल जायगी ? कदापि नहीं यह निश्चयसे समझना । जिस जिस समय जो जो दुःख तथा सुख भोगनेका होगा उस उस समय वह २ भोगना ही पडेगा, फिर उसकी घात करके दोषी क्यों बनना ?
( ७ ) कुम्हारने मृत्तिकाका घडा बनाया और उसको कोई फोड डाले तो वह अपनी मिहनतका बदला लिए विना उसको छोडता नहीं है, फिर जो ईश्वरको उस प्राणीका बनानेवाला कहते हो तो ईश्वर तुम्हारेसे बदला लिए विना कैसे छोडेगा ? जरा विचार करो ! और ऐसे अकृत्य से अपनी आत्माको बचाओ ।
इन सात उदाहरणोंका अंतःकरणमें विचार करके समझना चाहिये कि ( १ ) क्षुद्र प्राणीको भी मारने की ईश्वरकी आज्ञा नहीं है (२) धर्म भी नहीं है, (३) अनीति व पाप है, . ( ४ ) कुछ
* देखो - श्रीमद्भागवत के ७ वें स्कन्धके १४ वें अध्यायका ९ वां लोक |