Book Title: Saddharm Bodh
Author(s): Amolakrushi Maharaj
Publisher: Nanebai Lakhmichand Gaiakwad

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Page 34
________________ [३०] सर्पसे सच्चा सर्प खराब हो गया? ऐसे पूज्यप्राणी को क्षुद्र मानकर मार डालना यह कितना अधर्मपनेका कर्तव्य है। (६) अपनको किसीने गाली दी तथा अपमान किया तो अपन भी फिर उसकी तरफ वैसा ही करते हैं, तैसे ही सांप तथा बिच्छ्रओंको दूस. रोसे धक्का लगा तो वे दंश करेंगे-काटेंगे, क्यों कि उनके पास वही उपाय है । जो ज्ञानी होकर भी क्षमा नहीं करता है तो वे तो अज्ञानी प्राणी हैं वे क्षमा किस प्रकार कर सकेंगे? और पहले अपनेसे उसको धक्का लगा तब उसने अपनको काटा, इस. लिए प्रथम स्वयं गुन्हेगार हुए । अपने गुन्हाकी उसने अपनेको शिक्षा दी, फिर उसको मार डालना यह कितनी अनीतिका काम है। ऐसा देखा है कि शरीरके ऊपरसे सर्प बिच्छ्र निकल जाते हैं, लेकिन उनको धक्का नहीं लगता है, तो वें भी उनको काटते नहीं। भाइयों जरा नीतीसे चलो आगे बदला देना पडेगा? जरा डरिये, जो अपनी मृत्यु ही उसके संबंध

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