Book Title: Saddharm Bodh
Author(s): Amolakrushi Maharaj
Publisher: Nanebai Lakhmichand Gaiakwad

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Page 32
________________ [ ९८ उत्पन्न की है । अब जरा विचार करो कि (१) अपनने कोई चीजको बनाई उसको कोई दूसरा खराब करे अथवा उसका नाश कर डाले तो अपन को क्रोध आता है कि-इसने मेरा अपमान किया तथा मेरा परिश्रम निरर्थक किया। इसी प्रकारसे जो भगवान् के परिश्रमको अनुपकारी मानता है या निरर्थक गमाता है उस मनुष्यको कैप्ता दुष्ट कहना चाहिये ? (२) जो प्राणी तुम्हारेको दुःख देता है उस को तुम क्षुद्र कहकर मारते हो, जब तुमने उसको मार डाला तो तुम उससे भी ज्यादा महाक्षुद्र हुए कि नहीं ? फिर तुम्हारेको कौन छोडेगा ? (३) जैसे मनुष्यके शरीर सम्बन्ध कर पुत्रकी उत्पत्ति होती है वैसे ही शरीर पर वस्त्र रहा तो युकाकी उत्पत्ति होती है और घरमें मनुष्य रहा तो खटमल की उत्पत्ति होती है। फिर पुत्रका पालन करना और ज्युं खटमलको मार डालना यह कितना जबर अन्याय ?

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