Book Title: Saddharm Bodh
Author(s): Amolakrushi Maharaj
Publisher: Nanebai Lakhmichand Gaiakwad

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Page 39
________________ [ ३५ चाहिये । और “जीवो जीवस्य जीवनम्” अर्थात् जीव जीवका जीवन है, मतलब कि, एक. जीवसे दूसरे जीवको सहायता-सहारा पहुंचनेसे उसका निर्वाह होता है। जैसे मनुष्यको ज्ञान है वह पशु का पालन करने, रहनेको एक जगह, खानेको दाना, चारा, पीनेको पानी वगैरा देता है, और कितनेक काम ऐसे हैं कि उसमें मनुष्यको पशुकी सहायता की जरूरत पड़ती है। और वे पशु उसके काममें सहायता करते हैं, जैसे दूध, दही, मावा, मक्खन और तक (छाछ) ये पशुसे ही प्राप्त होती रहती हैं जिसको बालकसे बुढे तक और गरीबसे श्रीमान् तक चारों वर्णके लोग व यवनादि (मुसलमान) एक समान उपयोग करते हैं। पशुके शरीरसे ही ऊन प्राप्त होती है जिसके कम्बल दुशाले आदि उत्तम वस्त्र होते हैं, खेतोंमें हल वखर आदि खीचनेमें कूप आदि में चडसादिकसे पानी निकालनेमें पशु ही सहायक होते हैं। खाई, पहाड आदि दुर्गमस्थानोंमें मालमत्तादि पशुओंकी सहायतासे

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