Book Title: Saddharm Bodh
Author(s): Amolakrushi Maharaj
Publisher: Nanebai Lakhmichand Gaiakwad

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Page 38
________________ [ ३४ ] बकरे, मुर्गे वगैरा उत्पन्न किए हैं तैसे ही तुमको खानेको सिंह, बाघ, चीता इत्यादि प्राणीको भी उत्पन्न किए होंगे। क्यों कि उनको मनुष्यका मांस बहुत अच्छा लगता है, वे जिस वक्त तुम्हें खाने को आते हैं तब तो तुम उनको देखकर बापके बापको पुकार कर भागते हो, जिस प्रकार तुम्हारे प्राण तुमको प्यार हैं तैसे सब प्राणियोंको अपने २ प्राण प्यारे हैं, विष्णुपुराणमें कहा है कि यथात्मनः प्रियाः प्राणास्तथा तस्यापि देहिनः । इति मत्वा न कर्तव्यो, घोरप्राणिवधो बुधैः॥ अर्थात्--जैसे अपने प्राण अपनेको प्यारे हैं, तैसे ही सब प्राणियोंको आप आपके प्राण प्यारे हैं, ऐसा जानकर अहो विद्वानो! किसी भी प्राणी का वध कभी भी नहीं करना। ___ " जीवो जीवस्य जीवनम् " ऐसा जो लिखा है वह सच्चा है, परंतु उसका सच्चा अर्थ समझाना अरब्बी शेर-ऐसाली मुजरक बजात मुतसर्रफनाइल्लात ॥ अर्थ-चैतन्य दरयाफत करनेवाला है, अपने आपसे कबजा रखनेवाला है साथ औजारके। -

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