Book Title: Saddharm Bodh
Author(s): Amolakrushi Maharaj
Publisher: Nanebai Lakhmichand Gaiakwad

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Page 30
________________ [ २६ ] व कुटुम्ब के पालन करने के लिये स्थान, बस्त्र, तथा आहार बनाया है वहां अविचिन्त्य जाकर उनको दुःख नहीं होवे उस प्रकार उसमें से कुछ भाग ग्रहण कर के अपने शरीरका साधु पोषण करते हैं। और ज्ञान, ध्यान, तप, संयमसे स्वात्मा का और सदुबोध करके परात्मा का उद्धार करते हैं वे ही सच्चे साधु हैं। गृहस्थका धर्म उक्त साधुवृत्तिस गृहस्थाश्रमका निर्वाह होना बहुत मुश्किल है, क्यों कि मिट्टी, पानी, अग्नि, वायु और वनस्पति इन पाचोंका आरम्भ करने का सदैव प्रसंग प्राप्त होता है, इसलिये उक्त ६ प्रकार के प्राणीयों में से अन्तिम जो त्रस (हल चलने फिरने वाले) प्राणी हैं उनका वध नहीं किया जाय तो संसार के किसी भी काममें किसी भी प्रकार की कठिनाई नहीं होती है, इसलिए त्रसप्राणीको वध करनेका शास्त्रोंमें महापातक बताया है।

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