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। १४ ] धर्मेऽयं धनवल्लभेषु धनदा कामार्थिनां कामदः । सौभाग्यार्थिषु तत्पदः किमपरः पुत्रार्थिनां पुत्रदः ।। राज्यार्थिष्वपि राज्यदः किमवा नानाविकल्पैर्नृणाम् । तत्किं यन्न ददाति वांछितफलं स्वर्गापवर्गावधि ।
धर्म-धनकी इच्छा करनेवालेको धन देता है, कामार्थी मनुष्यकी कामना पूर्ण करता है, सौभाग्य की इच्छा करनेवालेको सौभाग्य देता है, पुत्रहीन को पुत्र देता है, राज्यकी अभिलाषावालेको राज्य देता है, किंबहुना स्वर्ग और मोक्ष जो कुछ वह सब एक धर्म करनेसे ही प्राप्त होता है, इसलिए सबसे श्रेष्ठ अत्युत्तम एक धर्म ही है। ___ संसारके सम्पूर्ण प्राणी एक सुखकी इच्छा करते हैं, वह सुख धर्म ही से प्राप्त होता है, ऐसा जानकर धर्मको सेवन करना चाहिये, परन्तु ऐसा धर्म कौनसा है ? जिसके द्वारा सुखकी प्राप्ति हो सके। इस कलियुगमें धर्मका मूल एक होनेपर भी उसमें अनेक मतभेद होगए हैं। और सब मतवाले अपना ही मत श्रेष्ठ बतानेकी चेष्टा करते हैं। जिससे स्वल्प बुद्धि लोग उनकी बातोंको सुनकर गडबडीमें