Book Title: Saddharm Bodh
Author(s): Amolakrushi Maharaj
Publisher: Nanebai Lakhmichand Gaiakwad

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Page 21
________________ [ १ ] लगाना तथा स्पर्शेन्द्रिय [शरीर ] को विषय भोगों में न लगाकर तपश्चर्या में लगाना, इस प्रकार पांचों इंद्रियको कुकर्म से रोक कर धर्मकी ओर लगाना इंद्रियनिग्रह है । ६ दान - दूसरे को कोई वस्तु देनेका नाम दान है । जिस प्रकार किसान अच्छी भूमि देखकर उसमें बीज बोता है, उसी प्रकार दानीको भी सत्पात्र देखकर दान करना चाहिये, जहां अनाथ अपंगोंकी रक्षा हो वहां दान देना चाहिये । ७ दया - सब जीवोंकी रक्षा करना और दुःख से पीडित जीवको देखकर मनमें खेद उत्पन्न होवे तथा यथाशक्ति सहायता करके उसके दुःखको दूर करना सो दया धर्म है । ८ दम - अपनी आत्माको जो अनादि कालसे कर्म संयोगवश कुमार्ग में पडा है उसे उस मार्ग से रोक कर सद्धर्मकी तरफ लगाना, जैसे कि ध्यान मौन, दुष्कर तप, पूर्ण ब्रह्मचर्य, त्याग, व्रतादि धारण करना यह दम है ।

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