Book Title: Sachitra Jina Pooja Vidhi
Author(s): Ramyadarshanvijay, Pareshkumar J Shah
Publisher: Mokshpath Prakashan Ahmedabad

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Page 12
________________ प्रस्तावना "जिनः साक्षात् सुरद्रुमः" भवाटवी मे भ्रमण करते जीवो के लिए जिनेश्वर परमात्मा साक्षात् कल्पवृक्ष के समान हैं । संयमी संयम मार्ग को विशेष जवलंत करने में और अविरतिधर गृहस्थ के भवसंताप को हरण करने में परमात्म-भक्ति अमोघ उपाय समान हैं । द्रव्यपूजा और भावपूजा में प्रभुजी के अद्भूत गुणो को आत्मस्थ करने का पुरुषार्थ होता हैं । परंतु उसमें संपूर्ण विधि का पालन और जयणा धर्म का उपयोग रखना उतना ही जरुरी है। सभी आराधक वर्ग सुगमता से समझ सके और आचरण कर सकें, ऐसी सरल भाषा मे वर्णन करने का छोटा सा प्रयास किया गया हैं। बिंदु समान मेरे इस प्रयत्न में सागर समान गहरी परमात्म भक्ति की बातें समाविष्ट करना मुश्किल है। फिर भी बालजीवोंके नित्यक्रम मे जरूर उपयोगी बने, ऐसी शुभेच्छा के साथ प्रयास किया है। ( VI

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