Book Title: Sachitra Jina Pooja Vidhi
Author(s): Ramyadarshanvijay, Pareshkumar J Shah
Publisher: Mokshpath Prakashan Ahmedabad

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Page 62
________________ पबासन को साफ करने में उपयोगी पाटलुंछना का स्पर्श यदि फर्श को साफ करने के लिए उपयोगी लुंछना से हो गया हो तो उसका उपयोग पाटलुंछन के रूप में नहीं किया जा सकता। पहली बार अंगलुंछना करते समय प्रभुजी के ऊपर रहे हुए विशेष पानी को ऊपर-ऊपर से साफ करना चाहिए तथा दूसरी बार अंगलुंछना करते समय सम्पूर्ण शरीर को साफ करने के बाद अंग-उपांग, पीछे, हथेली के नीचे, कन्धे के नीचे आदि अंगों पर अंगलुंछना की ही लट बनाकर उसके आर-पार विवेकपूर्वक साफ करना चाहिए। यदि उस लट से साफ होना सम्भव न हो तो सुयोग्य-स्वच्छ सोने-चांदी-तांबा अथवा पीतल अथवा चन्दन के सूए से हल्के हाथों से साफ करना चाहिए। तीसरी बार अंगलुंछना करते समय सम्पूर्ण रूप से स्वच्छ हो चुके प्रभुजी को हल्के हाथों से सर्वांग को स्पर्श कर विशेष रूपसे स्वच्छ करना चाहिए। अष्ट प्रातिहार्य सहित परमात्मा को अंगलुंछना करते समय प्रभुजी की अंगलुंछना करने के बाद अष्ट पातिहार्य आदि परिकर (देव-देवी-यक्ष-यक्षिणी-प्रासाददेवी आदि) की भी अंगलुंछना की जा सकती है। यदि परिकर रहित सिद्धावस्था के प्रभुजी हों तथा मूलनायक प्रभुजी के अधिष्ठायक देव-देवी तथा प्रासाददेवी को अलग (47)

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