Book Title: Sachitra Jina Pooja Vidhi
Author(s): Ramyadarshanvijay, Pareshkumar J Shah
Publisher: Mokshpath Prakashan Ahmedabad

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Page 103
________________ करने के साथ ही मत्थएण वंदामि' बोलना चाहिए। उस समय पीछे का भागऊँचा न हो, इसका ध्यान रखना चाहिए। यदि सम्भव हो तो मंदिर में विराजमान प्रत्येक प्रभुजी को तीन-तीन खमासमण देना चाहिए। उसके बाद ईरियावहियं करनी चाहिए। • ईरियावहियं सूत्र. इच्छाकारेण संदिसह भगवन् ! ईरियावहियं पडिक्कमामि ? इच्छं, इच्छामि पडिक्कमिउं ॥ १ ॥ ईरियावहियाए विराहणाए॥२॥गमणागमणे ॥३॥ पाणक्कमणे, बीयक्कमणे,हरियक्कमणे, ओसा-उत्तिंग पणग दग, मट्टी-मक्कडा संताणा, संकमणे ॥४॥जे मे जीवा विराहिया ॥५॥एगिदिया, बेईंदिया, तेइंदिया, चउरिदिया, पंचिंदिया॥६॥ अभिहया, वत्तिया, लेसिया, संघाइया, संघट्टिया, परियाविया, किलामिया, उद्दविया ठाणाओ ठाणं संकामिया, जीवियाओ ववरोविया तस्स मिच्छा मि दुक्कडं॥७॥ (88) ऐसे 'ईरियावहियं' करें।

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