Book Title: Sachitra Jina Pooja Vidhi
Author(s): Ramyadarshanvijay, Pareshkumar J Shah
Publisher: Mokshpath Prakashan Ahmedabad

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Page 106
________________ एम जाणीने साहिबाए, नेक नजर मोहे जोय; 'ज्ञानविमल' प्रभु नजरथी ते शुंजे नवि होय?॥३॥ (जो भगवान हो उसका अथवा जिस भगवान के पांच मे से कोई भी कल्याणक हो उसका अथवा सुद-१ से दिन वृद्धि के हिसाब से संख्या गिनते हुए, उस संख्यावाले (वद-१=१५+१=१६ में भगवान, वद-९,१०,११ को= २३वे भगवान और १२ से अमावस्या तक २४ मे भगवान )प्रभुजी का चैत्यवंदन बोलना चाहिए । सामान्य जिन चैत्यवंदन किसीभी प्रभुजी के समक्ष बोला जा सकता है।) •जं किंचि सूत्र जं किंचि नाम तित्थं, सग्गे पायालि माणुस्से लोए, जाइ जिण-बिंबाइ, ताइं सव्वाइं वंदामि ॥१॥ • नमुत्थुणं सूत्र. नमुत्थुणं अरिहंताणं भगवंताणं ॥१॥ आइगराणं, तित्थयराणं, सयं-संबुद्धाणं ॥ २ ॥ पुरिसुत्तमाणं, पुरिससीहाणं, पुरिसवरपुंडरिआणं, पुरिसवर-गंधहत्थीणं ॥३॥ लोगुत्तमाणं, लोगनाहाणं, लोगहिआणं, लोगपईवाणं, लोगपज्जोअ-गराणं ॥४॥ अभयदयाणं, चक्खुदयाणं, मग्गदयाणं शरणदयाणं, बोहिदयाणं, ॥५॥धम्मदयाणं धम्मदेसयाणं, धम्मनायगाणं, धम्म- सारहीणं, धम्मवर-चाउरंत चक्कवट्टीणं ॥ ६ ॥ अप्पडिहयवरनाण - दंसणधराणं विअट्ट-छउमाणं ॥ ७ ॥ 91

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