Book Title: Sachitra Jina Pooja Vidhi
Author(s): Ramyadarshanvijay, Pareshkumar J Shah
Publisher: Mokshpath Prakashan Ahmedabad

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Page 96
________________ फल-पूजा की विधि • उत्तम तथा ऋतु के अनुसार श्रेष्ठ फल चढाना चाहिए । श्रीफल उत्तम है। निम्नकोटि के, सड़े हुए,गले हुए तथा छिद्र युक्त अथवा बेरजामुन आदि फल नहीं चढाने चाहिए। सुयोग्य फलों में गाय के घी लगाकर तथा उसके ऊपर सोने-चांदी के वरख लगाकर उसे सुशोभित करना चाहिए। यदि सम्भव हो तो एक-दो केले के बजाय केले का पूरा समूहचढाना चाहिए। शत्रुजय तीर्थ आदि में जय तलेटी मंदिर के नजदीक फल बेचनेवालों के पास से खरीदकर फल नहीं चढाना चाहिए। सिद्धशिला के ऊपर की पंक्ति पर सिद्धभगवंतों को फल चढाना चाहिए।बदाम भी चल सकती है। फलपूजा करते समय बोलने योग्य दोहें: (पुरुष पहले 'नमोर्हत्...'बोले।) "इन्द्रादिक पूजा भणी,फल लावे धरी राग। पुरुषोत्तम पूजी करी, मांगे शिवफल त्याग...॥" 'ॐ ह्रीं श्रीं परमपुरुषाय परमेश्वराय जन्म-जरा-मृत्यु निवारणाय श्रीमते जिनेन्द्राय फलानि (एक हो तो 'फलं') यजामहे स्वाहा।'(२७ डंका बजाएँ) (81)

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