________________
क्रिया में बतलाई गई विधिके अनुसार प्रत्येक साथिया पर कम से कम एक नैवेद्य-फल अवश्य चढाना चाहिए। स्वादिष्ट मिठाई को स्वच्छ थाल में रखकर दोहे बोले : ( पुरुष पहले 'नमोर्हत्... 'बोले )
"न करी नैवेद्य पूजना, न धरी गुरुनी शीख । लेशे परभव अशाता, घर-घर मांगशे भीख ॥ अणहारी पद में कर्या, विग्गह गई अनन्त । दूर करी ते दीजिए, अणहारी शिवसंत ॥"
'ॐ ह्रीं श्रीं परमपुरुषाय परमेश्वराय जन्म- जरा - मृत्यु निवारणाय श्रीमते जिनेन्द्राय नैवेद्यानि (एक हो तो नैवेद्यं) यजामहे स्वाहा. ' (२७ डंका बजाएँ) अर्थ : हे प्रभु! एक भव से दूसरे भव में जाने के क्रम में एक-दो-तीन-चार समय के लिए विग्रह गति में मैंने अनंत बार आहार का त्याग स्वरूप अणाहारीपन (उपवास) किया है । परन्तु उससे मुझे कोई कार्य सिद्धि (मोक्षपद की प्राप्ति) नहीं हुई । अतः इस नैवेद्य के द्वारा आपकी पूजा करके मैं चाहता हूँ कि ऐसे क्षणिक नाशवंत अणाहारीपन को दूर कर मुझे अक्षय ऐसे अणाहारीपद स्वरूप मोक्ष सुख प्रदान करें।
80
उत्तम मिठाईयों से नैवेद्य पूजा ।