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अक्षत-नैवेद्य-फल-पूजा के बाद ध्यान रखने योग्य बातें
• प्रभुजी के समक्ष चढाए हुए अक्षत (चावल), नैवेद्य (मिठाई आदि), फल तथा रुपए-पैसे, वह निर्माल्य देवद्रव्य कहा जाता है।
• निर्माल्य देवद्रव्य की सारी सामग्रियों के द्वारा उपार्जित रुपए-पैसे देवद्रव्य के भंडार में भरपाई करना चाहिए । • यदि श्रीसंघ अथवा पेढी ऐसी व्यवस्था करने में समर्थ न हो तो निर्माल्य देवद्रव्य की यथायोग्य प्राप्त आय अपने हाथो से देवद्रव्य के भंडार में रखने के बाद चैत्यवन्दन आदि भावपूजा प्रारम्भ करनी चाहिए ।
घर के प्रत्येक व्यक्ति में भी ऐसे संस्कार डालने का प्रयत्न करना चाहिए ।
• स्वयं चढाई हुई सामग्री की नगद राशि देवद्रव्य के भंडार में रखने से वे श्रावक दर्शनाचार के अतिचार स्वरूप देवद्रव्य की उपेक्षा के महान दोष से बच सकता है।
• मंदिर की कोई भी सामग्री उपयोग में लेने से पहले स्वद्रव्य से करने की भावना वाले श्रद्धालु भंडार में कुछ न कुछ द्रव्य
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