Book Title: Sachitra Jina Pooja Vidhi
Author(s): Ramyadarshanvijay, Pareshkumar J Shah
Publisher: Mokshpath Prakashan Ahmedabad

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Page 65
________________ फैलाना चाहिए कि किसी के मस्तक आदिका स्पर्श न हो। अंगलुंछना, पाटलुंछना तथा जमीनलुंछना के लिए डोरी अलग-अलग सुरक्षित रखनी चाहिए। अंगलुंछना को धोते समय योग्य थाल में अन्य वस्त्रों का स्पर्श न हो, इसका ध्यान रखना चाहिए। पाटलुंछना को धोते समय भी यही सावधानी रखनी चाहिए। जमीनलुंछना उचित रूप से अलग ही धोना चाहिए। यदि हो सके तो प्रभुजी की भक्ति में प्रयुक्त वस्त्र-बर्तन आदि को धोया हुआ पानी गटर या नाले में न जाए, इस बात का ध्यान रखना चाहिए। अंगलुंछना सूख जाने के बाद दोनों हाथों को स्वच्छ कर मौन धारण करते हुए मात्र दो हथेलियों के स्पर्श से उसे मोड कर रखना चाहिए। पाटलुंछना भी उसी प्रकार मोडकर तथा जमीनलुंछना को भी यथायोग्य तरहसे रखना चाहिए। अंगलुंछना को सुरक्षित रखने के लिए अलग से एक स्वच्छ थैली रखनी चाहिए। पाटलुंछना उससे अलग सुरक्षित रखना चाहिए। जमीनलुंछना का स्पर्श अन्य किसी भी वस्त्र अथवा उपकरण से न हो, इसका ध्यान रखते हुए, उसे मोड़कर रखना चाहिए। (50)

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