Book Title: Sachitra Jina Pooja Vidhi
Author(s): Ramyadarshanvijay, Pareshkumar J Shah
Publisher: Mokshpath Prakashan Ahmedabad

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Page 74
________________ श्रीधर सम्यग्दष्टि देव-देवी को अंगुष्ठ से कपाल पर तिलक करें । उपदेशक नवतत्त्वना, तेणे नव-अंग जिणंद । पूजो बहुविध रागशुं, कहे शुभवीर मुनिंद ॥ १० ॥ ( अधिष्ठायक देव - देवियों को अक्षत (चावल) चढाने या खमासमण देने का भी विधान नहीं है। उनके भंडार में उनके नाम से नगद रुपये पैसे आदि डाला जा सकता है | ) (परमात्मा की आशातना हो, इस प्रकार अधिष्ठायक देवदेवी की आराधना-उपासना नहीं करनी चाहिए तथा प्रभुजी की दृष्टि गिरे, इस प्रकार सुखड़ी आदि न चढ़ाना चाहिए व न बाँटना चाहिए । ) 59

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