Book Title: Sachitra Jina Pooja Vidhi
Author(s): Ramyadarshanvijay, Pareshkumar J Shah
Publisher: Mokshpath Prakashan Ahmedabad

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Page 35
________________ (२) अर्थ - आलंबन : सूत्रों के अर्थ हृदय में विचारना । (३) प्रतिमा - आलंबन : जिन प्रतिमा अथवा भाव अरिहन्त के स्वरूप का आलंबन करना । ९. मुद्रा त्रिक (१) योगमुद्रा : दोनों हाथों की ऊँगलियों को परस्पर जोड़ना । (२) जिनमुद्रा : जिनेश्वर की भांति कायोत्सर्ग की मुद्रा । (३) मुक्ताशुक्ति मुद्रा : मोती के शीप के समान आकृति करना । १०. प्रणिधान त्रिक (१) चैत्यवन्दन प्रणिधान : 'जावंति चेइआइं' सूत्र के द्वारा चैत्यों की स्तवना । (२) मुनिवन्दन प्रणिधान : 'जावंत के वि साहू' सूत्र के द्वारा मुनि भगवंतों की वन्दना । (३) प्रभु प्रार्थना प्रणिधान : 'जय वीयराय' सूत्र के द्वारा प्रभुजी को प्रार्थना करना । (नोट : मन की स्थिरता, वचन की स्थिरता तथा काया की स्थिरता स्वरूप तीन प्रणिधान भी कहलाते हैं । ) 20

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