Book Title: Sachitra Jina Pooja Vidhi
Author(s): Ramyadarshanvijay, Pareshkumar J Shah
Publisher: Mokshpath Prakashan Ahmedabad

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Page 39
________________ • • • • वीरवलय- बाजूबंद - नौ सेर सोने का हार, मुकुट आदि अलंकार पहनने चाहिए। स्त्रियों को भी सोलह शृंगार सज़कर रूमाल सहित चार वस्त्र पहनने चाहिए । स्त्रियों को आर्य मर्यादा के अनुकूल सुयोग्य वस्त्र पहनने चाहिए । शिर हमेंशा ढंके रहना चाहिए । स्त्रियों के पूजा का रुमाल छोटा नहीं बल्कि स्कार्फ के समान बड़ा होना चाहिए । में सिलाई रहित अखंड, स्वच्छ तथा पुरुषों को पूजा निर्मल दो वस्त्र पहनना चाहिए। • पूजा के वस्त्रों से नाक, पसीना, मैल आदि साफ करने जैसा अपवित्र कार्य नहीं करना चाहिए । पूजा के वस्त्रों का प्रयोग मात्र पूजा के लिए ही करना चाहिए । सामायिक आदि में इनका प्रयोग नहीं करना चाहिए । पूजा के वस्त्र प्रतिदिन स्वच्छ निर्मल जल से धोने चाहिऐ । बिना धुला हुआ वस्त्र नहीं पहनना चाहिए । पूजा के वस्त्रों में कुछ भी खाना-पीना, अशुचि कर्म, 24

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