Book Title: Sachitra Jina Pooja Vidhi
Author(s): Ramyadarshanvijay, Pareshkumar J Shah
Publisher: Mokshpath Prakashan Ahmedabad

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Page 37
________________ लेकर पैरों के तलवे तक मैं स्नान करता हूँ, ऐसा सोचना । यह क्रिया मात्र एक बार करनी चाहिए। उसके बाद थोडे स्वच्छसुगंधित द्रव्यों से मिश्रित निर्मल सचित्त जल से स्नान करना चाहिए। स्नान में प्रयुक्त जल गटर आदि में नहीं जाना चाहिए । स्नान करने के बाद अतिस्वच्छ तौलिये से शरीर पौंछना चाहिए । (मूल विधि के अनुसार स्नान करने के बाद शरीर पौंछने की विधि नहीं है, मात्र पानी गारना होता है । ) पूजा के कपड़े पहनने की विधि दशांगादि आदि धूप से सुवासित शुद्ध रेशम के पूजा के वस्त्र पहनने चाहिए । धोती पहनते समय गांठ नहीं बांधनी चाहिए । यह विधि किसी योग्य भाग्यशाली के पास सीख लेनी चाहिए। धोती को आगे तथा पीछे व्यवस्थित रूप से पहनना चाहिए । धोती के ऊपर सोने-चांदी अथवा पीतल का कंदोरा अवश्य पहनना चाहिए । दुपट्टा के दोनों छोरों में प्रमार्जन हेतु उपयोगी रेशम के डोरेवाली किनारी अवश्य रखनी चाहिए । 22

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