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पूजा के वस्त्र पहनते समय 'ॐ ह्रीँ आँक्रौँ नमः' यह मन्त्र बोलकर वस्त्र के ऊपर हाथ फिराना चाहिए । उसके बाद विधिपूर्वक वस्त्र पहनना चाहिए। अपने वैभव तथा शानो शौकत के अनुसार आडंबरपूर्वक ऋद्धि के साथ सुयोग्य नयन रम्य पूजा की सामग्री लेकरही मंदिर जाना चाहिए। दर्शन करने जाने वाले को भी सुयोग्य सामग्री साथ में रखनी चाहिए। अपने घरसे लाए हुए लोटे के जल से खुली जगह में पैर धोने चाहिए। संस्था में रखे हुए पानी से पैरधोने से पहले 'जमीन जीव-जंतु से रहित हैया नहीं इस बात का निश्चय कर लेना चाहिए। पैरों को धोते समय एक पैर के पंजे को दूसरे पैर के पंजे पर कभी नहीं घिसना चाहिए। ऐसा करने से अपयश फैलता है। पैरधोया हुआ पानीगटर-निगोद आदि में नहीं जाना चाहिए। थोड़ेसे पानी का ही पर्याप्त उपयोग करना चाहिए। जयणापूर्वक की गई सारी क्रियाएँ कर्म-निर्जरा में सहायक बनती हैं।
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