Book Title: Ratisarakumar Charitra Author(s): Kashinath Jain Publisher: Kashinath Jain View full book textPage 4
________________ युवा, स्त्री,-सबका समान भावसे मनोरंजन कर सकेगी। आजकलकी रुचिके अनुसार हमने अपनी इस ग्रन्थमालाके अन्यान्य पुष्पोंको भांति इसमें भी कई सुन्दर चित्र लगा दिये हैं। __ अब हमें अपने उद्योगमें कहांतक सफलता प्राप्त हुई है, इस. का निर्णय स्वयं पाठकगणही कर सकते हैं। हम इस विषयमें कुछ कहना अनावश्यक समझते हैं। जनवरी सन् 1924 "नरसिंह प्रेस" 201 हरिसन रोर कलकत्ता। निवेदककाशीनाथ जैन, P.P. Ac. Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak TrustPage Navigation
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