Book Title: Pravachansara ki Ashesh Prakrit Sanskrit Shabdanukramanika Author(s): Kundkundacharya, A N Upadhye, K R Chandra, Shobhna R Shah, H C Bhayani, Nagin J Shah Publisher: Prakrit Text Society Ahmedabad View full book textPage 6
________________ प्रवचनसार : शब्दानुक्रमणिका अइसयं अतिशयम् 1.13 -अक्खादा -आख्यातवन्तः (देखो, अंजलिकरणं अञ्जलिकरणम् 3.62 समक्खादा) -अंत- -अन्त- (देखो, अत्यंतगयं, -अक्खादे -आख्यातान् (देखो, णेयंतगदो) जिणक्खादे) -अंतर -अन्तर (देखो, अत्यंतर, -अक्खो -अक्षः (देखो, अणक्खो) - देतरसंकम) अगंधं अगन्धम् 2.80 -अंतरं - अन्तरम् (देखो, गुणंतरं) अगारी अगारी 3.50 -अंतरम्मि -अन्तरे (देखो, अत्यंतरम्मि) -अगारे -अगारान् (देखो, अणगारे) -अंतराय- -अन्तराय- (देखो, -अग्गं -अग्यम् (देखो, एयग्गं) आवरणंत-रायमोहरओ) -अचलं - - अचलम् - (देखो, -अंताणं -अन्तानाम् (देखो, देवदंताणं) धुवमचल-मणालंब) -अंतियं -अन्तिकम् (देखो, एगंतियं) -अचेलं- -अचेलम्-अंतेण अन्तेन (देखो, एगंतेण) (देखो, लोचावस्सयमचेलमण्हाणं) -अंसा -अंशाः (देखो, कम्मंसा) अचिरेण अचिरेण 1.88 - अक्ख- - अक्ष- (देखो, अचेदणं अचेतन: 2.35 . सव्वक्खगुण-समिद्धस्स) अचेदणं अचेतनम् 1.25 अक्खणिवदिदं अक्षनिपतितम् 1.40 अच्चंतं अन्यन्तम् 1.12 अक्खयं अक्षयम् 2.103 अच्वंतफलसमिद्धं अत्यन्तफलसमृद्धम् अक्खा अक्षाणि 1.56, 57 3.71 अक्खाणं अक्षाणाम् 1.56 अजधागहणं अयथाग्रहणम् 1.85 अक्खातीदस्स अक्षातीतस्य 1.22 अजधागहिदत्था अयथागृहीतार्थाः अक्खातीदो अक्षातीतः 1.29 3.71 -अक्खादं -आरव्यातम् (देखो, अजधाचारविजुत्तो अयथाचारवियुक्तः समक्खाद) 3.72 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.orgPage Navigation
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