________________
८. लोगस्स सूत्र
सूत्र विभाग | मुणि-सुव्वयं = श्री मुनिसुव्रत स्वामी, नमि = श्री नमिनाथ वंदामि = मैं वंदन करता हूँ रिट्ठ-नेमि = श्री अरिष्ट नेमि [नेमिनाथ] को पासं तह वद्धमाणं च = और श्री पार्श्वनाथ तथा श्री वर्धमान
[महावीर स्वामी को पासं = श्री पार्श्वनाथ, तह = तथा, वद्यमाणं = श्री वर्धमान
स्वामी को ५.एवं मए अभिथुआ = इस प्रकार मेरे द्वारा स्तुति किये गये
एवं = इस प्रकार, मए = मेरे द्वारा, अमिथुआ = स्तुति किये
गये |विहय-रय-मला = कर्म रूपी रज [नये बंधने वाले कर्म और मल
पहले बंधे हुए कर्म) से रहित विय = से रहित, रय = रज, मला = मल पहीण-जर-मरणा = वृद्धावस्था और मृत्यु से मुक्त
पहीण = मुक्त, जर = वृद्धावस्था, मरणा = मृत्यु से चउ-वीसं पि जिणवरा = चौबीसों जिनेश्वर
जिणवरा = जिनेश्वर तित्थ-यरा = तीर्थ के प्रवर्तक
५६ sutra part
8. logassa sutra muņi-suwayam = to sri munisuvrata svāmi, nami = śri naminātha vandāmi =i am obeisancing rittha-nemim = to śri arista nemi (neminātha) pāsam taha vaddhamāṇam ca = and to sri pārsvanātha and śri
vardhamāna (mahāvira) svāmi | pāsam = to sri parsvanātha, taha = and, vaddhamānam = sri
vardhamāna svāmi 5.evam mae abhithua = in this way eulogized by me
evam = in this way, mae = by me, abhithuā= eulogized
vihuya-raya-malā = free from particles of dust (newly binding karma) and filth
[karma bounded before) of karma
vihuya = free from, raya = dust, mala = filth pahina-jara-maranā = free from old age and death
pahina = free from, jara = old age, maraņā = death cau-visam pi jinavarā = all the twenty four jineśvara
_jinavara = jinesvara tittha-yarā = the propagators of the religious order (path of salvation]
Pratikramana Sūtra With Explanation - Part - 1 For Private Personal use only
www.jainelibrary.org
प्रतिक्रमण सूत्र सह विवेचन - भाग-१
56
Jain Education International