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२१. संसार-दावा-नल स्तुति सूत्र विभाग १३३ sutra part
21. sansāra-dāvā-nala stuti भव = संसार, विरह = विरह का, वरं = श्रेष्ठ वरदान, देहि = bhava = worldly affairs, viraha = detachment from, varam = the great दो, मे = मुझे, देवी = हे श्रुत देवी, सारं = सार रूप
boon of, dehi = bestow, me = me, devi = oh śruta devil, sāram =
essence in the form of गाथार्थ :
Stanzaic meaning - संसार रूपी दावानल के ताप को शांत करने में जल समान, प्रगाढ मोह | lobeisance to sri mahavira svāmi like water in cooling the heat of wide-spread रूपी धूल को दूर करने में वायु समान, माया रूपी पृथ्वी को चीरने में | forest fire resembling the worldly life, like wind in removing the dust resembling तीक्ष्ण हल समान और मेरु पर्वत समान स्थिर श्री महावीर स्वामी को | themass of deepignorance, like abest plough in tearing of the earth resembling मैं वंदन करता हूँ.. ........... १. | the delusions and steady like meru mountain.
...............1. भाव पूर्वक नमन करने वाले सुरेंद्र, दानवेंद्र और नरेंद्रों के मुकुट में स्थित || obeisance faithfully in those feet of jinesvaras worshipped by the oscillating चपल कमल श्रेणियों से पूजित और नमन करने वाले लोगों के | rows of lotus flowers present in the crowns of surendras, danavendras and मनोवांछित संपूर्ण करने वाले जिनेश्वरों के उन चरणों में मैं श्रद्धा पूर्वक | narendras bowing down devotionally and the fulfillers of wishes of people नमन करता हूँ. ...........२. | bowingdown.........................
.....................2. ज्ञान से गंभीर, सुंदर पद रचना रूप जल समूह से मनोहर, जीवों के || adore in the best manner with great reverence the best scriptures of Sri प्रति अहिंसा की निरंतर लहरों के संगम से अति गहन देह वाले, चूलिका | mahavira svāmi like ocean, profound byknowledge, fascinating by marvellous रूप भरती वाले, उत्तम आलापक रूपी रत्नों से व्याप्त और अति | compositionofphrases likeagreat collectionofwater, of impenetrablebody with कठिनता पूर्वक पार पाये जाने वाले श्री महावीर स्वामी के आगम रूपी | theconfluenceofcontinuous waves ofnon-injuryagainstall living beings.having
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प्रतिक्रमण सूत्र सह विवेचन - भाग - १ Jain Education International
Pratikramana Sūtra With Explanation - Part - 1
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