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उदार-चरित थे, उतने ही आप शास्त्रों के ज्ञाता भी थे। खास करके धर्मशास्त्रमें आपका अच्छा प्रवेश था। ज्योतिषशास्त्र के भी आप मर्मज्ञ थे कहने का तात्पर्य यह है कि सोने में सुगंध की तरह आप पर भगवती, सरस्वती और देवी लक्ष्मी दोनों का समान रूपसे आशीर्वाद का हाथ रहा । पाली के आबालवृद्ध सभी आपके गुणों को आज भी भूले नहीं है। आपकी तरफ से पालीमें कन्याशाला, हाईस्कुल आदि शैक्षणिक संस्थाएँ चल रही हैं, जिनमें प्रति वर्ष कई विद्यार्थी विद्यालाभ प्राप्त कर रहे हैं । गरीव, अपंग और अनाथों के लिए भी आपकी तरफ से सदाव्रत अनाथालय और प्याउएं चल रही हैं । आयंबिल खाता भी आपकी तरफ से पाली में चल रहा है आपका स्वर्गवास संवत् २०१८ कार्तिक शुक्ल द्वितीया शुक्रवारको हुआ।
श्रीमात् सेठ श्री मुकुनचन्दजी सा. के श्री हस्तिमलजी श्री मोहनराज जी श्री माणेकलालजी श्री मदनलालजी ये चार पुत्र और एक पुत्री श्री वसंतकुंवर मौजूद है, एवं सबसे बडे पुत्र श्री सोहनराजजी सा. एवं सबसे छोटी पुत्री श्री सजनकुंवरबाई स्वर्गस्थ हुए है। सेठ साहब के पांच पौत्र हैं, तीन पौत्रियां हैं और एक प्रपौत्र है इस तरह सेठ माहयने अपने सामने चार पीढियों को फलते फुलते देखा है।
पूज्य आचार्य श्री जैनधर्मदिवाकर आगमोद्धारक श्री महाराज साहब श्रीघासीलालजीकी देखरेखमें वर्षों से कई शास्त्र ग्रन्थोंका लेखन, प्रकाशन और संपादन होरहा है। समस्त जैनागमोंका आप भारतकी अद्यतन भाषा में संस्कृत-प्राकृत हिन्दी गुजरातीमें-सरल व्याख्याएं करके जैन धर्मकी अभिवृद्धि कर रहे हैं। श्रीमान सेठसाहब के सुपुत्रोंने अपने पिताश्री के पुण्य स्मरणार्थ शास्त्र प्रकाशनमें उदार सहायता की है । । श्रीमान् सेठ सा. की पाली-जोधपुर-व्यावर-अहमदावाद-मुंबई में अनेक पेढ़ियां हैं । इश्वर कृपा से घालियाजी के परिवार सुखसंपत्ति का सदा अनुभव करते रहे।
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