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देश विमोच अने साधुओने सर्व विमोक्ष, क्षीणकर्मा-मुक्तोना आत्मानो पण स्वजनित कर्म साथे जे सर्वथा वियोगरूप मोच ते सविस्तर भक्तप्रत्याख्यान, इंगिनी अने पादपोपगमन मरण सहित वर्णववामां आवेल छे अने उपधान श्रुत नामना नवमा अध्ययनमा भगवान् श्री वर्धमान स्वामीए पोते सेवेला तपर्नु सविस्तर वर्णन करवामां आवेलुं छे. तेमज स्त्रीना संगनो त्याग अने ब्रह्मचर्यादिकनुं लक्षण कयुं छे. ए रीते आचारार्थ नव अध्ययने पृथक् पृथक् बताव्यो छे. पहेली तथा बीजी चूलिकामांना सात सात अध्ययनोमा जे जे अधिकारो वर्णववामा पाव्या छे तेनुं विवेचन टीकाकारे करी बतावेल छे. त्यारपछी छलां वे अध्ययनो कहेला छे. कुल अध्ययन २५ नो सार नीचे प्रमाणे छे:
अध्ययन १लं (शस्त्र परिज्ञा) १त्रणे काळ संबंधी, मन वचन अने कायाथी, करवू करावq अवे अनुमोदq-एवी रीते कर्मबंधना हेतुरूप क्रियाना २७ प्रकार थाय छे.
२ ज्ञपरिज्ञाथी तत्संबंधी शुद्ध समज मेळवी लेवी भने प्रत्याख्यान परिज्ञाथी समजीने उक्त क्रियानो त्याग करवो.
३ जेणे ए क्रियाना भेदो उक्त रीते शुद्ध समजेला होय तेज कर्मोने समजीने तेना कारणोथी दूर रहेनार मुनि के एम जाणवू.
४ जे पृथ्वीकाय विगेरे जीवोनी विराधना करवी अहितकारी छ ऍम जाणीने तजे के तेज मुनि के. ५ महापुरुषोए ते मार्ग सेवेलो के माटे निःशंकपणे तेनुंज सेवन कर, अने कोइ जीवने प्रभुनी आज्ञा समजी भय
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